रत्ना श्रीवास्तव

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खुदगर्जी

खुदगर्जी कर गये मुझसे
तो कोई बात नहीं,
मगर मिलूँ जो कभी....

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माँ

अमृता की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। कोरोना के बढ़ते मरीजों की वजह से उसकी ड्यूटी का समय भी...

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जिन्दगी के फलसफ़े (कविता)

जिन्दगी जीने के लिए
कुछ फलसफे जरूरी है,
चिकने घड़े-सा होना...

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ये पति

अक्सर मैं देखती हूं कि व्हाट्सऐप फेसबुक पर पति पत्नी अपना नाम साथ जोड़ कर लिखते हैं. किसी पार्टी या फंक्शन में जाती हूं तो पति पत्नी को एक ही...

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आईना

जमाने को आईना दिखाना है,
वो आईना हमें ख़ुद को बनाना है।
चाहें जितना भी हो दु:ख के पतझड़,...

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भूख

धर्म निरपेक्ष होती है,
जो हर किसी को लगती है,
चाहें हिन्दू हो या मुस्लिम ।...

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बहा डाला

मैं, मुफलिस
बेघर,बेसहारा
रात को दिन...

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किसान

वो नींव का पत्थर है
इस देश की बुनियाद का,
वो कंगला ही मालिक है...